10.12.17

चलन में सिक्कों की बहुतायतता



नोटबंदी  के बाद लोगों ने डिजिटल लेन-देन को व्यवहार में ज्यादा से ज्यादा लाना शुरू कर दिया। छोटे-मोटे पेमेंट के लिए Paytm Wallet  जैसे  वालेट को बढ़ावा मिला ।  जो कैश-लेश के साथ-साथ वेट-लेश भी था।  आज अधिकतर  लोग चाय-पानी  बिजली- पानी , पेट्रोल , डॉक्टर फी , मेडिशन आदि के भुगतान के कुछ  इसी तरह के वालेट का प्रयोग करते है। 
भुगतान के रूप में केश (Cash) से अलग सब्सिट्यूट  मिलने व् मुद्रा स्फीति ( Inflation) के  कारण  बाजार में भुगतान के लिए  सिक्कों (coins) की मांग आश्चर्यजनक रूप से घटी है। 
चलन (Circulation) में  सिक्को की अधिक उपलब्धता  व्  उनको  बैंको दवरा असुविधा के कारण  जमा करने से अस्वीकार करने के कारण, लोग सिक्को को लेने से कतराने लगे है।  इस समय  50 पैसे से लेकर 10 रूपये तक के सिक्के चलन में है। परन्तु  कुछ सिक्के लोगो दवरा अस्वीकार  किये जाते है ।  जैसे  50 पैसा का  सिक्का , एक रूपये का छोटा सिक्का आदि-आदि  

हैरानी की बात यह है कि 10 रूपये के 14 प्रकार के  सिक्कों में से केवल एक विशेष प्रकार के डिजाइन वाला सिक्का ही लोगों द्वारा स्वीकार किया जा रहा है एक तरह से सिक्कों पर ग्रेशन के नियम का यह अपवाद लागू है-  जिसमें न लोग बुरी मुद्रा लेंगें, न देंगे । यहां दस रूपये के 13 प्रकार के डिजाइन  वाले  अन्य सिक्को को आम लोग बुरी मुद्रा के रूप में लेते है।
 पूजा स्थलों आदि में करोड़ों के सिक्के बैंकों में आसानी से न जमा होने के काऱण जमा है। बिना उपयोग के  यूं ही  पड़े सिक्कों से पूंजी का प्रवाह तरलता  रूकती है 

उपरोक्त स्तिथि को देखते हुए सरकार से अनुरोध है कि डिजिटल लेन-देन  को देखते  हुए  चलन में प्रचलित सिक्कों का कुछ प्रतिशत सिक्कों ( 25%-30%)  बैंको या अन्य  एजेंसी के माध्यम से चलन अथवा बाजार से  वापस ले। 
 इससे लाखो लोगों को सिक्कों के अस्वीकार करने का सामना भी न करना पड़ेगा।  छोटे-छोटे  फुटकर व्यापारी, धार्मिक  स्थल , बैंक आदि को भी ठहरी  पूंजी में तरलता मिलेगी। 
 इस सम्बन्ध सरकार दवरा उठाया गया सकारात्मक कदम निश्चय ही न केवल लोगों के मन जीतने का काम करेगा वरन  बाजार में पूंजी की उपलब्धता  को भी बढ़ाएगा  जिससे रोजगार उत्पन्न करने में सहायता मिलेगी   



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