20.9.12

दिल्ली में बिजली की दरों में अतार्किक वृद्धि


एक ओर  जहां  दिल्ली में लोगों का अपार्टमेंट्स , डी डी ऐ फ्लेट्स ,मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग व कम कुदरती रौशनी वाले घरों में रहने के कारण बिजली की खपत बढ़ी हें, वहीं बिजली के नए तेज भागने वाले डिजिटल मीटर व जलबोर्ड द्वारा पानी की कम व बिना प्रेशर वाली वाटर सप्लाई के कारण भी बिजली की खपत में बढ़ोतरी हुई हें/ जल बोर्ड का पर्याप्त मात्रा में व समय पर पानी न मिलने के कारण लोगों को भू जल के स्रोत पर जहां निर्भर होना पड़ रहा हें वहीं जल बोर्ड के पानी के लिए भी बिजली की मोटर का बार बार इस्तेमाल करना पड़ता हें इसमें भी काफी बिजली तो खाली मोटर बार बार चलाने में खर्च हो जाती हें /     इस प्रकार पांच छः घर के सदस्य के घर में गर्मी में जिसमें एक कूलर , फ्रीज , दो पंखे , एक वासिंग मशीन , एक प्रेस व पांच छः CFL TUBE  हो तो आज के तेज भागते मीटर में लगभग प्रतिदिन आठ यूनिट का खर्चा आ रहा हें / जब कि पहले मीटर में यही लगभग चार से पांच यूनिट के बीच आता था /दिल्ली सरकार /बिजली कम्पनी ने एक आम घर की खपत को 200 यूनिट प्रति माह तय किया हें तथा जिस पर कम दर से बिजली दी जाती हें जो आज के हालत व उपरोक्त परिस्तिथी को ध्यान में रखा जाए तो एक दम बेमानी हें / यदि उपरोक्त बातों को देखें तो इस समय एक आम घर में गर्मी के दिनों में कम से कम 250 यूनिट का खर्च आता हें /   सुझाव - बिजली की रियायती दर के स्लेब को बढाकर कम से कम 250 यूनिट किया जाए /बिजली की अतार्किक दरें –  1st   जुलाई 2012 से बिजली की दरें अतार्किक तरीके से बढाई / रखी गयी हें जो निम्न हें  From 0 to  ( Up to) 200 Units   @ 3.70   Paisa (  Ist Category )+ Fixed Charges =  Amounts  +13 % ( 8%+5%  ) =  Per Units rate
 From 0 to ( up to) 400 Units @4.80 Paisa ( दूसरी श्रेणी ))+ Fixed charges = Amounts +13 % (8%+ 5% ) = Per Units rates
इसका अर्थ ये हुआ कि किसी उपभोगता की खपत यदि  201  यूनिट हुई तो उसे बिजली का भुगतान 4.80 + taxes   per Units  की दर से करना पड़ रहा हें / जब कि इससे पहले ये नहीं था बिजली की दर स्लेब की दर से लगती थी अर्थात 0 to 200 @ 3.70  + taxes  पेसे व बाकी 1 UNIT पर 4.80 + taxes  /
दिल्ली में नब्बे पतिशत उपभोगता दुसरी श्रेणी वाली हें / इस प्रकार बिजली कम्पनी ने DERC  से बड़ी ही चालाकी से बिजली की दरों में जबरदस्त इजाफा करा दिया /जिसकी सीधी मार आम उपभोगता जिसमें सभी वर्ग शामिल हें पडी हें /
दिल्ली सरकार ने बिजली का निजीकरण करते समय ये भरोसा दिलाया था कि इससे बिजली की दरें कम होगी व बिजली की व्यवस्था में सुधार होगा /व्यवस्था में सुधार से तो इनकार नहीं किया जा सकता पर बिजली की दरें घटने की बजाय मनमाने तरीके से व अतार्किक तरीके से बढ़ायी जा रहीं हें जिसका उदाहरण जुलाई 2012में बड़ी दरें हेंDERC व दिल्ली सरकार से अनुरोध हें कि वह इस अतार्किक दरों को सही करे व उसे INCOME TAX  SLAB की तरह लागू करे व साथ ही साथ कम दरों पर बिजली के खपत जो अब 200 UNITS  उसे बढाकर 250 तक करे /बिजली कंपनी का रवैयाये भी पाया गया हें कि बिजली कम्पनी एक वर्ष में केवल लोड को घटाने में भी मनमाना रवैया कर रहीं हें यदि कोई उपभोगता अपना वर्तमान लोड घटाना चाहता हें तो केवल एक वर्ष में एक किलो वाट का ही लोड घटाया जा रहा हें / जो एक अनुचित व्यवहार की श्रेणी में आता हें /दिल्ली में 1 जुलाई 2012 से बढ़ी बिजली दरों का  SLAB  अतार्किक हें इसी कारण बिजली के बिलों में जबरदस्त इजाफा हुआ हें /जिसे  देख कर ज़ोर का झटका धीरे से लगा / बिजली की दरें बड़ी ही चतुराई से रखी गयी हें

16.9.12

गैस के छः सिलेंडर का कोटा

 
डीजल के दाम , रिटेल सेक्टर में ऍफ़ डी आई जेसे मुद्दे पर आम गृहणी शायद इतने गुस्से में न हो ,जितने वह रसोई गैस के छः सिलेंडर करने पर / आज हर गृहणी सरकार को कोस रही हें / दिल्ली में वेसे भी पच्चीस दिन में गैस के सिलेंडर की बुकिंग की जाती हें तो दिल्ली का आम आदमी तो अभी भी साल भर में बारह सिलेंडर से काम चला रहा हें /पर अब साल भर में गैस के छः सिलेंडर का कोटा निर्धारित करने के कारण आम आदमी सदमें में हें / किसी घर में यदि दो बच्चे व मियां बीवी हें, साथ में माता पिता हें तो बड़ी मुश्किल से एक सिलेंडर एक महीना चलता हें / घर में सप्लाई होने वाले सिलेंडर में गैस वेसे भी एक आध किलो कम आती हें / ऐसे में सरकार का छः सिलेंडर का फरमान महगाई की मार झेल रही गृहणी के लिए कटे पर नमक छिड़कने जैसा है /
सरकार को इस फैसले पर पुर्नविचार करना चाहिए तथा सिलेंडर की संख्या वर्ष भर में कम से कम बारह करने चाहिए / इससे आम आदमी जिसमें दलित , मुस्लिम , सिख , पिछड़े सभी शामिल हें को लाभ होगा / देश में सरकार के प्रति गुस्सा कम होगा व सरकार की छवि प्यूपिल फ्रेंडली बनेगी /
सरकार को देश की इकोनोमी के साथ साथ आम आदमी के घर की इकोनोमी व क्रय शक्ति के बारे में भी सोचना चाहिए कहीं ऐसे न हो बढती महंगाई में उस आम आदमी की इकोनोमी ही न ढह जाए जिसके लिए देश की इकोनोमी बनाई जाती हें /
 
 
 
 

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