23.8.10

राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक

काश्मीर में सिख्खों कों धमकी मिलने के बाद तो लगता हे क़ि जेसे बंटवारे के समय जहाँ पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुआ व् अब भी हो रहा हे , वही आज आजाद भारत में भी राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा हे। भारत में आज अप्ल्संख्यक वो हें जो रास्ट्रीय अस्टर पर संख्या बल में कम हों । यद्दयापी UNO के अनुसार यदि किसी धर्म सम्पर्दाय क़ी आबादी 8% या उससे अधिक हें तो उस स्म्पर्दाय कों अल्प्संखयक नहीं माना जा सकता । परन्तु कुछ सवार्थ वश लोग उन्हें एक वोटबेंक क़ी तरह इस्तेमाल कर, अपना हित साध रहे हें ।
आज रास्ट्रीय स्तरपर तो अल्पसंख्यकों पर अत्याचार नहीं हो रहा परन्तु राज्य स्तर पर जरूर अल्पसंख्यांक अत्याचार के शिकार हो रहे हें । काश्मीर में पंडितों का पलायन , पंजाब में हिन्दुओं क़ी हत्या , व अब फिर काश्मीर में सिखों कों धर्म परिवर्तन या घाटी छोड़ जाने क़ी धमकी । क्या ये अल्पसंख्यकों पर अत्याचार क़ी कहानी नहीं कहते ?सरकार व् बुध्धि जीवी वर्ग कों इस विषय पर दुबारा सोचना चाहिय । भारत में सबको बराबर के अधिकार हें फिर ये भेदभाव क्यों ? आज भी भारत जेसी मिसाल दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी जहाँ बहुसंख्यकों पर अल्पसंख्यक राज करते हें । वो भी बिना किसी एतराज के । हमारे परधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी इसका जीता जागता उदहारण हें । एक समय तो राष्ट्रपति श्री अबदुलकलाम व् प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी दोनों ही भारत कों चला रहे थे । भला फिर कोन कह सकता हे कि अल्पसंख्यकों कों अधिकार नहीं । आज यदि देखा जाए तो अल्पसंख्यक कहीं जयादा अधिकार रखते हें । भारत में आज राज्य स्तर के साथ साथ जिला स्तर पर भी वहां बसे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की आवश्यकता हे । हमें अपने हितों से ऊपर उठकर सोचना चाहिय । भारत वो देश हे जहाँ सेकड़ों सालों से अल्पसंख्यकों ने राज किया उसमें चाहें मुग़ल हों या अंग्रेज । आज अल्पसंख्यक कि नई परिभासा की राज्य व् जिला स्तर पर बनाने की जरुरत हे । काश देश हित व् जनहित में ऐसा हो









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