12 Sep.,18 से पूर्वी दिल्ली नगर निगम (
“EDMC “) के सफाई कर्मी लगातार हड़ताल पर है। गलियों ,
सड़कों पर कूड़े के ढेर लगे है। दिल्ली राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले दिल्ली के
तीन निगमों से एक “ EDMC” की कमजोर
वित्तीय स्तिथि ने अपने कर्मियों की सैलरी के लिए
पूर्ण रूप से राज्य की सरकार फंडिंग पर निर्भर
बना दिया है। वर्तमान स्तिथि को देखकर ऐसा
लगता है - राज्य सरकार व् नगर निगम में
आपसी तालमेल का पूर्ण अभाव है। परिणामस्वरूप हानि
आम नागरिकों को उठानी पड़ रही है। राज्य सरकार
से समय पर फंडिंग ने मिलने के कारण निगम , अपने कर्मियों को
वेतन व् अन्य भत्तों दे पाने में
असमर्थ है । इन्हीं मांगों को लेकर
सफाई कर्मी हड़ताल पर है ।
आम नागरिकों की
स्तिथि खरबूजे जैसी है। चाकू खरबूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर !
दोनों ही हालत में कटना खरबूजे को ही है।
आम लोगों का मानना है कि राज्य
सरकार
केंद्र या निगम से नाराज होकर या मीडिया अटेंशन के लिए, जब तब निगम की फंडिंग रोक
देती है । इससे वेतन आदि न
मिलने पर निगम कर्मी हड़ताल करते है। ऐसा लगभग दिल्ली की
जनता पिछले साढ़े तीन वर्ष से अधिक समय से
देखती आ रही है।
जब तक सफाई कर्मियों की हड़ताल
खत्म नहीं हो जाती । सड़कों पर कूड़ा न फैले इसके
लिए निगम व् राज्य सरकार को एडवाइजरी जारी करनी
चाहिए ।
जिसमें क्या करें और क्या न करें
की सलाह हो -
जैसे -
-हड़ताल
के दौरान नागरिकों को कूड़ा केवल ढलाव घर पर
ही डालना चाहिए।
-नागरिक कार
पूल की तरह “ डस्टबिन-पूल” करके बारी -बारी से एक दूसरे का कूड़ा ढलाव घरों
पर ही डाल सकते है। ऐसा करने से हड़ताल के समय कम परेशानी होगी ।
- हड़ताल
के समय सड़क , गली में कूड़ा बिलकुल न डाले।
हड़ताल के समय ढलाव पर कूड़े डालने
का कार्य पं म मोदी जी के
स्वच्छता अभियान को सफल बनाने का एक सफल प्रयास माना
जाएगा।
हड़ताल
के समय नागरिक वेट एन्ड वाच की नीति पर चल , निगम व्
राज्य सरकार के वाक् युद्ध में हार- जीत के फैसले का
धैर्य पूर्वक इन्तजार करना चाहिए । अर्थात तेल देखें
व् तेल की धार देखें।
यदि
सम्बंधित प्रशासन सफाई कर्मी हड़ताल से पूर्व कुछ इसी तरह की
एडवाइजरी नागरिकों के लिए जारी कर दे तो सड़कों पर कूड़ा भी न फैले व्
गंदगी के ढेर भी न लगे।
लोग यह सोचते हुए -चलती
चाकी देख के दिया कबीरा रोय !
दो पाटन के बीच में
साबुत बचा न कोय ।। हड़ताल को एन्जॉय कर सकते है ।
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