5.5.20

जरूरी जरूरत (Needs) जीने की


आदमी की जरुरतें (Needs) असीमित होती है , जरूरतें  पूरे  करने  के  साधन कम ।  इसी लिए जीवन  जीने लिए  जरूरतों की  चुनाव  अर्थात  वर्गीकरण  करना  पड़ता  है।  मूल रूप से सामान्य जीवन  जीने के लिए  रोटी, कपड़ा, मकान की  जरूरत  होती है Ɩ इसी आधार पर   जरूरतों को   तीन वर्ग  1- जीवन  रक्षक  जरुरत  अथवा  आवश्यक  आवश्यकता  ( Life Saving Necessities), 2- आरामदायक (Comforts) जरूरत , 3-  विलासिता पूर्ण  (Luxuries) जरूरत में  बांटा  जा सकता है।  
एक प्रकार से सीमित साधनों में जरूरतों  को कम करना ही एक उत्तम समाधान है। जैसा की  आम लोगों ने लॉकडाउन के समय किया। इस दौरान लोगों ने  जरूरतों को न केवल  कम किया वरन संयम से जरूरतों का दमन भी किया।  इसी कारण  कम आय अथवा सीमित साधनों में भी लोग दो-दो लॉकडाउन को सहर्ष झेल गए।    
 देश, स्थान-काल, आयु-आय , मौसम-जलवायुवर्ग आदि  घटकों  के  कारण   व्यक्ति की जरूरतें  अलग-अलग हो सकती है।  मसलन किसी की विलासिता पूर्ण जरूरत  दूसरे के लिए  आवश्यक आवश्यकता हो सकती है Ɩइसे किसी  सीमा में बांधना  नामुमकिन है।  
उदाहरण के लिए  जैसे  मजदूर/ कामगार के लिए  कार एक विलासिता की वस्तु/ जरूरत है, वहीं  व्यापारी, डॉक्टर, पत्रकार , वकील आदि  के लिए  यह  आवश्यक आवश्यकता  है।  
 अतः स्पष्ट है कि जरूरतें बदलती रहती है।  जैसा कि  आजकल  लॉकडाउन-3-O में  देश भर खुली शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़  को देखकर लग रहा है।  ऐसा लगता है कि  शराब विलासिता की जरूरत न हो अब  एक आवश्यक जरूरत बन गई है। 
 हमारे समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री, राजनेताओं, देश के नीति निर्मातों को देश में शराब की बढ़ती खपत व् लोगों की  बदलती जरूरत की ओर ध्यान  देने की शीघ्र आवश्यकता है।  शराब के लिए घंटों लाइन में लग लाठी खाती भीड़ को देख , इस पर अध्धयन कर, इसकी श्रेणी बदलने के आवश्यकता है Ɩ    







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