28.7.19

जुड़वां - नामकरण

जुड़वां का नामकरण 
 वर्ष 2015 !  जुड़वा बेटियां बस कुछ ही दिन की  हुई होगी, उनके नामकरण को लेकर घर-परिवार में जोरों की माथापच्ची शुरू होने लगी।   
पीढ़ी गैप के कारण ओल्ड व् आउटडेटिड ,पुराने नामों को लेकर एतराज था।   पहले बच्चे के नामकरण  हलवाई की मिठाई के नाम पर  जैसे इमरती देवी जलेबी , रबड़ी  या किसी फूल-फल के नाम- जैसे चमेली , गेंदामल  , गुलाब सिंह अनारो  ,केला देवी  या  भगवान के नाम - जैसे शिवराज , पार्वती देवी ,  राधा , राम रति , कन्हैया  आदि पर रख लिया करते थे।  घर परिवार में  जो  लोग  गुरूजी के भक्त होते थे वो  गुरूजी  से नामकरण करवा लेते थे -जैसे रामदेव , श्यामदेव आदि -आदि 
 परन्तु इंटरनेटी व्  ग्लोबल हुई  गूगल की  दुनिया में आज बच्चों के नामकरण में राशि , अक्षर , स्पेलिंग के साथ-साथ एक अलग यूनिक पहचान वाला नाम रखने की  होड़ मची है  
इसी लिए  जुड़वा बेटियों के नामकरण को लेकर एक अजब से दुविधा चल निकली । कोई कहता परिवार में सभी नाम एक ही अक्षर व् राशि वाले है. अतः अबकी बार ट्विन्स का नाम किसी अन्य अक्षर व् राशि  पर होना चाहिए ताकि  राशियों के कुप्रभाव से बचा जा सके ।  
जुड़वा बेटियों के नामकरण को लेकर अधिकारों की जंग छिड़ी  इस जंग का  फायदा उठा , माताश्री ने  नामकरण की  वीटो पॉवर  अपने हाथ में ले ली।  
 परिवार-पड़ोस के सभी सदस्य मार्गदर्शक मंडल की तरह सुझाव तो दे सकते थे। परन्तु मानना न मानना माताश्री की वोटो पावर पर निर्भर था। नामों को लेकर गूगल  सर्च किया जाने लगा। सुझाव में आये नामों  को  माताश्री दवरा  मीनमेक निकाल कर रिजेक्ट किया जाना आम बात थी। 
  उन दिनों नामों की इसी उधेड़बुन में लगभग तीन से  चार माह का समय बीत गया। अब  घर में समस्या   उत्पन्न हुई कि  एक ही से दिखने वाले  ट्विन्स को क्या कह कर पुकारा जाए। घर के बुजुर्ग सदस्यों ने अपनी उम्र के अनुभव के आधार पर कार्यवाहक सरकार की तरह  ट्विन्स के पैदा होने के एक मिनट के अंतर को आधार बना दोनों जुड़वा बेटियों के निक नेम रख डाले –  बड़ी का नाम - परी !  व्  एक मिनट बाद पैदा हुई छोटी  बेटी का नाम  रखा -छुटटन ! 
  ट्विन्स को इन्ही  कामचलाऊ  किन्तु जीवन भर  निक नेम से पुकारे  जाने वाले नामों से पुकारा जाने लगा।  अंत में थक हार कर  किसी तरह माताश्री को यह समझाया गया कि नगर निगम में रूल के अनुसार केवल एक वर्ष के भीतर ही बिना नाम वाले जन्म प्रमाण पत्र में नाम दर्ज कराया जा सकता है। एक वर्ष पश्चात SDM दफ्तर से ही बिना नाम वाले जन्म प्रमाण पत्र में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन करना पड़ता है । अतः  नामों को लेकर इतनी देरी ठीक नहीं। 
  मन मसोस कर माताश्री ने दो नामों को अनमने मन से स्वीकृति दी। नाम रखते हुए माताश्री की हालत ठीक वैसे थी जैसे   कोई  पेड़ पर लगे असंख्य सुंदर-सुंदर मीठे मीठे  आमों को देखकर, उनके से कोई एक आम चुनने का निर्णय न कर पा रहा हो।  मानवीय प्रवृत्ति के अनुसार आम चुनने वाला हर बार आम चुनने के बाद, दूसरे आम की ओर इस उम्मीद से उठाता है  क़ि दूसरा पहले वाले से शायद ज्यादा अच्छा हो  
 अंत में  राम-राम, श्याम श्याम करते हुए  दो जुड़वा  नाम अंतिम रूप  दिया गया व्  नगर निगम के रिकॉर्ड में दर्ज कराया गया। नाम वाला बर्थ सर्टिफिकेट  हाथ में आते ही  माताश्री ने सर्टिफिकेट ले दोनों जुड़वा परियों को चूम लिया व फिर धीरे से  उनकों उनके नामों  से अवगत कराया।  आराध्या ! अनन्या  !  नाम सुन दोनों ही परियां खिलखिला उठी। 
ट्विन्स के मुस्कराने पर माँ  का वात्सल्य उमड़ पड़ा। परिवार में मिली इस सुखद अनुभूति को केवल ह्रदय से ही अनुभव किया जा सकता था।  लगा जैसे संसार  की खुशियाँ हम सब की  झोली में आ गिरी हों।  ट्विन्स  भी  अपने नाम को  सुन  मुस्कराते हुए , मौन स्वीकृति  सी देते  लग रहे थे। मानों कह रहे हो   भई नाम में कुछ नहीं  बल्कि बहुत कुछ रखा है। 
जय हिन्द जय भारत 


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