24.7.16

अल्पसंख्यक - अग्रवाल समाज

अग्रवाल समाज का योगदान भारतीय समाज व् देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था में किसी से छुपा नहीं। यह समाज भारत के हर राज्यों में बसा है। साथ ही दुनिया की आर्थिक ताकत वाले देशों जैसे अमेरिका, इंग्लैंड आदि में इसकी उपस्तिथि देखी जा सकती है। शिक्षा,चिकित्सा, रोजगार, धार्मिक कार्यों आदि में इस समाज का योगदान देखते ही बनता है। 
अग्रवाल समाज 18 गोत्रों का एक समूह है। गोत्र महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्रो  नाम- 1-ऐरन 2-बंसल, 3- बिंदल ,4- भन्दल ,5- धारण , 6- गर्ग , 7- गोयल , 8- गोयन,  9- जिंदल , 10- कंसल ,11- कुच्छल , 12- मधुकुल , 13- मंगल , 14- मित्तल  ,15- नागल , 16—सिंघल , 17- तायल ,18- तिंगल पर आधारित है।   
127 करोड़ की भारत की जनसंख्या में इस समाज की जनसख्या का हिस्सा एक प्रतिशत से भी क्म है। प्रत्येक दस वर्ष में एक बार होने वाली जनगणना में अग्रवाल समाज के अलग से आंकड़े इकट्ठे नहीं किये जाते। यही कारण है, इस समाज की सही तस्वीर देश-दुनिया के सामने नहीं आ पाती।  
अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार किसी देश में यदि क्सिी वर्ग/धर्म की आबादी 8 % या उससे अधिक हो तो उसे अल्पसंख्यक नहीं माना जाता। परन्तु भारत में अग्रवाल समाज की जनसख्या देश की कुल जनसख्या का १% से भी कम है, को अल्पसंख्यक वर्ग में न रखबहुसख्यक वर्ग में रखा जाता है।
 जैसा कि मालूम है कि भारत में इस समय जातियों-धर्म समूहों को अल्पसंख्यक की श्रेणी में रखा गया है  1- मुस्लिम, 2--ईसाई, 3--बौध्ध  4- सिख  5- जैन, 6--पारसी।  यह बात अलग है जब अल्पसंख्यक की बात होती है तो केवल मुस्लिम वर्ग ही मीडिया में अल्पसंख्यकों का नेतृत्व करता नजर आता है। क्या आपने कभी किसी जैन, बौध्ध, सिख आदि को T.V. की किसी डिबेट में अल्पसंख्यकों  के ऊपर होने वाली बहस रूप में देखा हैयद्यपि अन्य अल्पसंख्यकों की जनसख्या  मुस्लिम आबादी के राष्ट्रीय स्तर पर २५% से काफी कम है। 
  यदि राज्य स्तर पर U.P जैसे राज्य को देखा जाए तो लगभग 20 से ज्यादा जिलों में मुस्लिम आबादी 40% या उससे भी अधिक है, इसमें मुजफ्फरनगर जिला भी शामिल है।
अतः स्पष्ट है 1% से कम का जनसंख्या वाले अग्रवाल समाज को भी जैन धर्म की ही तरह अप्लसंख्यक वर्ग में शामिल किया जाना चाहिए।  
अग्रवाल समाज इस समय गम्भीर संकट के दौर से गुजर रहा है। इस वर्ग में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। बेरोजगारी के कारण विवाह-शादी की समस्या उत्प्न्न हो रही है। दहेज़ की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया  है। शिक्षा,चिकित्सा के लिए संघर्ष करना पड रहा है। गांव- देहात,कस्बों से अग्रवाल समाज का सुरक्षा के अभाव में पलायन आम बात है। कैराना हो या अन्य जगह इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है
 सरकार को वोट बैंक की  राजनीति  से हटकर  इस समाज की ओर ध्यान देना चाहिए।  साथ ही अग्रवाल समाज के प्रबुद्ध जनों को भी समाज के उत्थान के लिए अपना रोजगार , शिक्षा , चिकित्सा व् सामाजिक कार्यों जैसे विवाह शादी में यथा संभव योगदान देना  चाहिए। यही चंद प्रयास महाराजा अग्रसेन की विरासत को बचाने में मील का पत्थर साबित होंगें। 
 - सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः 

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु

मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् 

 शान्तिः शान्तिः शान्तिः 

आशा है   “सबका साथ सबका विकास के मूल मन्त्र वाली केंद्र सरकार अग्रवाल समाज की समस्या की ओर ध्यान देने की कृपा करेगी। जयहिंद !






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