एक ओर जहां दिल्ली में लोगों का अपार्टमेंट्स , डी डी ऐ फ्लेट्स ,मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग व कम कुदरती रौशनी वाले घरों में रहने के कारण बिजली की खपत बढ़ी हें, वहीं बिजली के नए तेज भागने वाले डिजिटल मीटर व जलबोर्ड द्वारा पानी की कम व बिना प्रेशर वाली वाटर सप्लाई के कारण भी बिजली की खपत में बढ़ोतरी हुई हें/ जल बोर्ड का पर्याप्त मात्रा में व समय पर पानी न मिलने के कारण लोगों को भू जल के स्रोत पर जहां निर्भर होना पड़ रहा हें वहीं जल बोर्ड के पानी के लिए भी बिजली की मोटर का बार बार इस्तेमाल करना पड़ता हें इसमें भी काफी बिजली तो खाली मोटर बार बार चलाने में खर्च हो जाती हें / इस प्रकार पांच छः घर के सदस्य के घर में गर्मी में जिसमें एक कूलर , फ्रीज , दो पंखे , एक वासिंग मशीन , एक प्रेस व पांच छः CFL TUBE हो तो आज के तेज भागते मीटर में लगभग प्रतिदिन आठ यूनिट का खर्चा आ रहा हें / जब कि पहले मीटर में यही लगभग चार से पांच यूनिट के बीच आता था /दिल्ली सरकार /बिजली कम्पनी ने एक आम घर की खपत को 200 यूनिट प्रति माह तय किया हें तथा जिस पर कम दर से बिजली दी जाती हें जो आज के हालत व उपरोक्त परिस्तिथी को ध्यान में रखा जाए तो एक दम बेमानी हें / यदि उपरोक्त बातों को देखें तो इस समय एक आम घर में गर्मी के दिनों में कम से कम 250 यूनिट का खर्च आता हें / सुझाव - बिजली की रियायती दर के स्लेब को बढाकर कम से कम 250 यूनिट किया जाए /बिजली की अतार्किक दरें – 1st जुलाई 2012 से बिजली की दरें अतार्किक तरीके से बढाई / रखी गयी हें जो निम्न हें From 0 to ( Up to) 200 Units @ 3.70 Paisa ( Ist Category )+ Fixed Charges = Amounts +13 % ( 8%+5% ) = Per Units rate
इसका अर्थ ये हुआ कि किसी उपभोगता की खपत यदि 201 यूनिट हुई तो उसे बिजली का भुगतान 4.80 + taxes per Units की दर से करना पड़ रहा हें / जब कि इससे पहले ये नहीं था बिजली की दर स्लेब की दर से लगती थी अर्थात 0 to 200 @ 3.70 + taxes पेसे व बाकी 1 UNIT पर 4.80 + taxes /
दिल्ली में नब्बे पतिशत उपभोगता दुसरी श्रेणी वाली हें / इस प्रकार बिजली कम्पनी ने DERC से बड़ी ही चालाकी से बिजली की दरों में जबरदस्त इजाफा करा दिया /जिसकी सीधी मार आम उपभोगता जिसमें सभी वर्ग शामिल हें पडी हें /
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