मुज़फरनगर की रेल / यातायात समस्याएं
मै मुज़फरनगर की रेल यातायात से संबधित समस्याओं को उठाना चाहता हूँ . हो सकता है इसके माध्यम से रेल यात्री को होने वाली परेशानी को सम्बंधित प्रशासन तक पहुचाने मे मदद मिले . आगामी बजट के समय कुछ यहाँ के लिए भी किया जाए . मुज़फरनगर बाई पास बनने से उतराखंड की लगभग सभी व यू पी की अधिकतर बसे शहर के बाहर से निकलती है . जिस कारण यहाँ मजबूरन लोगों को रेल का रुख करना पड़ा . यहाँ रेल का इसी कारण महत्त्व काफी बढ़ गया है . तथा अब रेल ही एक सस्ता व सुलभ साधन उपलब्ध है . इसमें कोई शक भी नहीं रेल किराया सस्ता होने से भी भीड़ रेल मे बढ़ी है . रेल का मुज़फरनगर के लिए रोजगार , शिक्षा , चिकित्सा व आने जाने में काफी बड़ा अहम् रोल है .
वैसे तो यहाँ से काफी मेल गाडी उत्तराखंड / सहारनपुर की ओर गुजरती है परन्तु 1996 से दिन के समय रिजर्व कोच मे यात्रा पर अनारक्षित यात्री को भारी जुरमाना देना पड़ता है . व साथ ही जर्नल डिब्बे नाम मात्र के है , इसलिए यहाँ को लोगो को इन गाड़ियों का जो लाभ मिलना चहिये था नहीं मिल पा रहा . उलटे इन गाड़ियों ने पेसेंजर गाड़ी की रफ़्तार पर ब्रेक लगा दिए . इस बारे मे जुलाई २००५ मे उस समय के रेल मंत्री जी श्री लालू जी को पत्र लिखा . जिन्होंने मेरठ शटल को मुज़फरनगर तक विस्तार दे दिया . निश्चित ही यह उनका व रेल प्रशाशन का एक सराहनीय कदम था
1 - वर्ष २००६ मुज़फरनगर से केवल दिल्ली के लिए एक ही ट्रेन शटल ( 1DM ) का संचालन किया जा रहा है . यात्रियों की संख्या व क्षेत्र के विकास को देखते हुए यहाँ से और शटल/ एक्सप्रेस ट्रेनों को ना केवल दिल्ली बल्कि मेरठ / सहारनपुर/ रूडकी / हरिद्वार तक चलाया जाना चाहिए . इससे लम्बी दूरी की ट्रेनों मे लोकल यात्री का दबाव कम होगा . लोकल यात्री के साथ साथ लम्बी दूरी के यात्री भी आराम से यात्रा कर सकेगे .रेल आरक्षण की मारा मारी भी कम होगी .
२- मेरठ सिटी से टपरी ( सहारनपुर ) तक रेलवे लाइन को दोहरा करने का काम तेजी से किया जाना चाहिए . सिंगल लाइन होने से पेसेंजर ट्रेन को, सामने से आने वाली ट्रेन को पास देने मे बीच के स्टेशनो पर काफी समय तक खड़ा होना पड़ता है जिससे यात्रियों का काफी समय बर्बाद होता ह़े , रेल संचालन मे देरी होती है . रेल स्टाफ पर मानसिक दबाव पड़ता है . उनकी कार्य करने की शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है , यात्री की सुरक्षा व समय भी दाव पर लगी रहता है .
सिंगल लाइन पर अधिक ट्रेन संचालन से रेल ट्रेफिक मे कभी भी बाधा पड़ सकती है .
३- रेल लाइन का सहारनपुर से मेरठ - गाज़िया बाद तक बिजलीकरण का काम तेजी से किया जाना चाहिए . ताकि EMU / DMU चला कर लोकल यात्रियों का दबाव कम किया जा सके .
४- टिकिट खिड़की पर भीड़ कम करने के लिए दुबारा से UTS ( अनारक्षित टिकटिंग पर्णाली ) को बहाल किया जाना चाहिए .
इसमें किसी दुरूपयोग के कारण संसोधन करने से यात्रा से ३ दिन पहले टिकेट लेने का प्रावधान बदल दिया गया . जो अब बदल कर २०० किलोमीटर से कम टिकिट लेने पर समाप्त कर दिया गया है . इससे टिकिट खिड़की / रेलवे स्टेशन पर घंटों पहले टिकिट लेने के चक्कर में भीड़ जमा हो जाती है . प्लेट फार्म पर / करंट टिकिट खिड़की पर यात्रियों का दबाव कम करने के लिए पुरानी व्यवस्था का पुनः बहाल किया जाना जरुरी है . अनारक्षित टिकिट को साथ ही बेंक ,पोस्ट ऑफिस मे भी मिलने की व्यवस्था करनी चाहिए .
५- मुज़फरनगर शहर रेलवे स्टेशन के दोनों और घनी आबादी बसी होने के कारण व यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुअ
दिल्ली की तरह दोनों ओर टिकिट खिड़की/ रेल टिकिट प्राप्त करने की व्यवस्था होनी चाहिए . ताकि स्टेशन की भीड़ को दोनों ओर बाँट कर काम किया जा सके . भीड़ को नियंत्रित किया जा सके . नई मंडी/ पटेल नगर/ भोपा रोड / गाँधी कालोनी आदि की ओर के लोगो को इस समय टिकिट लेने मे समय व भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है .
6- देवबंद से इकबालपुर ( रूडकी )तक के रेल मार्ग को जल्दी पूरा करना चाहिए . ताकि उत्तराखंड से आने जाने वाली गाड़ी को घूम कर न जाना पड़े व दिल्ली से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुचने के समय को काम किया जा सके .
7 मुज़फरनगर ,हरिद्वार - रूडकी -मेरठ के लोग एक स्थान से दुसरे स्थान पर काफी आते जाते हैं . लोगो की सुविधा व मेल गाड़ी पर लोकल यात्री व भीड़ कम करने के लिए इन आस्थानों को जोड़ने के लिए शटल चलाई जानी चाहिए .
8- टिकट खिड़की से भीड़ कम करने के लिए २४ घंटे टिकट एजेंसी व करंट काउंटर बढाए जाने चाहिए . तथा टिकट एजेंसी की संख्या बढ़ा कर भीड़ को जहाँ कम किया जा सकता है वहीँ लोगो को रोजगार भी प्रदान किया जा सकता है .
९- यहाँ के लोगो के मन मे यह बात घर कर गयी है कि रेल यहाँ के लोगो को सोतेली आँखों से देखते है . अतः मुज़फरनगर ( पशचमी उत्तरप्रदेश ) व मुज़फरपुर ( बिहार ) मे रेल विकास के मामले मे अंतर न किया जाये .
10- फिलहाल महिलाए प्रायः यहाँ के साथ साथ लगभग सभी अस्थनों पर बिना लाइन के टिकट लेती है . इससे पुरुस यात्री लाइन मे ही खड़े रह जाते है . अतः महिला टिकट खिड़की अलग से होनी चाहिए . ताकि टिकिट वितरण मे मारामारी न मचे .
११-- उत्तराखंड राज्य का टूरिस्म मे काफी कुछ निर्भर करता है . तथा यह एक यात्री यों के लिए सबसे इनकम वाला रुट है . इसलिए इस रुट का विकास करना बहुत जरुरी है .
१२- रूडकी - हरिद्वार रेल रुट का जल्दी सर्वे कर उस पर कम शुरू किया जाना चाहिए . ताकि रेल ट्रेफिक को लक्सर ( जक्सन) पर कम कर रेल की रफ़्तार को बढ़ाया जा सके .
१३- मुज़फरनगर से शामली - पानीपत तक रेल का नया रुट निकाल कर हरिद्वार के रुट को मिलाना चाहिए .
आशा है हमारा रेल विभाग इस विषय मे अवस्य आवश्यक कदम उठाएगा . इससे रेल की जहाँ आय बढ़ेगी . लोगो को यातायात की सुविधा होगी . रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे . उत्तराखंड राज्य का टूरिस्म बढेगा .
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