19.7.24

खाद्य पदार्थ विक्रेताओं का शॉप पर एक्छिक रूप से नाम का डिस्प्ले बोर्ड

प्रशासन दवरा  कावड़ मार्ग पर  खाद्य  पदार्थ  विक्रेताओं  को  दुकान  के बाहर  व्यापारिक प्रतिष्ठान  के खड्या नाम  के साथ साथ  , दुकान के स्वामी का नाम  डिस्प्ले  बोर्ड  का ऐच्छिक उल्लेख  करना  की सलाह दी गयी है।  ऐसा इस लिए किया गया  ताकि कावड़ की पवित्र  यात्रा के दौरान  तीर्थ  यात्री  उस  स्थान की  शुद्धता  व् स्वच्छता का पहली नजर में ही अनुमान लगा सके।  व्  किसी प्रकार के झगड़े की आशंका  न हो। 
 प्रशाशन की इस  सलाह से  भला  किसे  को क्या आपत्ति  हो सकती है ?  एक शुद्ध शाकाहारी  सनातनी -हिन्दू ,  जैन आदि  उपभोगता को   खाद्य पदार्थ खरीदते  समय यह अधिकार है कि  वो  जिस खाद्य पदार्थ   को खरीद  कर खा रहा है , उसमें शुद्धता का ध्यान  रखा  गया है या  नहीं। ऐसा  फ़ूड सिक्योरिटी  एक्ट 2006  जो यूं पी  ए  सरकार के समय पास हुआ व् वर्ष 2011  में लागू किया गया , इसके एक्ट के अंतर्गत भी इसी तरह का  प्रावधान किया गया है।  भला इस आदेश में  संविधान के उलघ्घन की बात  कहाँ से आ गई।  हाँ  यह बात अवशय है कि  खाद्य  सामग्री विक्रेता इस क़ानून का अवशय उलघ्घन कर रहा है। 
  वैसे भी  शाकाहारी  लोगों के लिए खाने वाली डिब्बा बंद  वस्तुओं पर  ग्रीन  मार्क/ चिन्ह  होता  है जो इस  बात का सूचक है  की यह खाद्य  पदार्थ  शाकाहारी है।  
 आखिर विपक्षः के  कुछ नेताओं को  स्वेच्छिक  रूप से  खाद्य  पदार्थ  विक्रेताओं  को दूकान पर व्यापरिक नाम के साथ  स्वामी का  नाम प्रदर्शित करने  के आदेश पर पर इतनी आपत्ति क्यों ? 
आखिर उपभोगता  व्  तीर्थ  यात्रियों  को किसी    धर्म की तुष्टिकरण के लिए उसके मूल अधिकारों व उपरोक्त कानूनी अधिकारों से कैसे  वंचित  किया  जा सकता है।   
 उपरोक्त  तथ्यों  को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कावड़ के समय दूकान के व्यापारिक  नाम के अतिरिक्त  दुकान  स्वामी का  नाम का  एक्छिक रूप से  डिस्प्ले  बोर्ड पर  प्रदर्शित करवाने का  निर्णय  प्रशासन द्वारा लिया गया  एक  सही व् , सराहनीय  कदम है। जागो  ग्राहक के अंतर्गत यह  उठाया गया एक बुद्धिमता पूर्ण  
कदम है। 
शाकाहारी लोगों  व्के तीर्थ यात्रियों की शद्धता  व्  पवित्रता के  अधिकारो की रक्षा के लिए इस तरह का आदेश कावड़ मार्ग पर कावड़ के  समय ही नहीं वरन  पूरे  वर्ष  हर जगह  भारत में लागू होना  चाहिए।   किस मत या धर्म  विशेष के नाम पर कुछ नेताओं  कीआपत्ति का कोई अर्थ नहीं।  उपभोत्ता  व् तीर्थ यात्रियों का  अधिकार सर्वोपरी है। छल कपट से खाद्य वस्तु बेचना  सरासर  फ़ूड सेफ्टी क़ानून की श्रेणी  में आता है।  प्रशासन उत्तरप्रदेश व् उत्तराखंड प्रशासन दवरा  यह उठाया गया कदम सोलह  आने  सही कदम है। 

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