17.10.18

तू पागल !

पागल शब्द बच्चा,बूढ़ा, जवान सभी लगभग हर रोज दिन में न जाने कितनी ही बार जाने अनजाने  प्रयोग करते  हैं। यहाँ यह भी है कि  पागल का अर्थ पागल ही हो , यह कतई जरूरी नहीं ।  इसका आशय वाक्य या परिस्तिथि पर निर्भर करता है, जब जहाँ इसे बोला गया हो। कहने का तातपर्य यह कि पागल शब्द का अर्थ हर बार बदल सकता है। शायद  लोगों का इसी लिए पागल  शब्द के प्रति पागलपन  किसी  दीवनगी की हद तक है। 
कुछ उदाहरण इस प्रकार है  -क्रोध में पागल , प्यार में पागल , सरकार का पागल होना , अरे!  यार छोडो !उसकी बातों पर मत जाओ ! पागल है !!
 कह सकते है पागल शब्द उस एंटीबॉयटिक दवा की तरह है, जिसे  लोग  बिना  सोचे समझे प्रयोग करते रहते है।  अरे ! मै  भी पागल  हूँ ! आया  था हरी भजन को ,ओटन  लगा कपास।    
इसी पागल  शब्द पर घटित May,16 की  घटना  याद  हो आयी। लॉ एग्जाम  के कारण  एक वर्षीय जुड़वाँ नातिनों में से एक जिसे प्यार से "छुट्टन" कहते है , को श्रीमती जी ने अपने पास रख लिया। "छुट्टन"  देर रात  तक  जागती। 
 ठुमक कर ,कभी सरक कर यहाँ, कभी वहां , कभी  इस कमरे से उस कमरे में , कभी  गोद  में,  कभी  जमीन पर , कभी  पलंग  पकड़कर  खड़े  रहना , कभी  ट्यूब  लाइट की  तरफ एकटक  देखना आदि-आदि  उसके खेलों में शामिल था। परिवार के सदस्य देर रात तक जागकर खेल लीला  का आनंद लेते।     
हम कभी-कभी प्यार से  कहते -" ऐ  पागल ! सो जा !" कहते है न " THE CHILD IS FATHER OF THE MAN" 
 शायद पागल शब्द का जादू छुट्टन पर भी चल चुका था । छुट्टन उन दिनों बोलती न थी। परन्तु 
एक दिन देर रात के जागने से परेशान हो जैसे ही उसे बोला  - “पागल सो जा !”
वो तपाक से बोल पडी - तू पागल ! ये उसका पहला  वाक्य  था !! शायद वह यह शब्द की महत्ता को पहचान  चुकी थी !



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