देश भर में चालान को लेकर चर्चा है ! चालान भी अजीबोगरीब तरह के है। विदेशों की तर्ज पर भारत में नए मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर आने वाले भी
शायद इस तरह के चालानों को सुनकर दातों तले उंगुली दबाते हो । लेकिन जनहित
में चुप्पी जरूरी है।यही सोच कर सभी मुंह में दही जमा कर
बैठे है।
तरह तरह के चालानों में बैलगाड़ी का चालान ! बस,कार,ऑटो चालक का हेलमेट न लगाने पर चालान ! ऑटो चालक का सीट बेल्ट न लगाने का चालान। आदि आदि कुछ इसी तरह के किस्में है चालानों की। शायद यही देखकर चुनावी राज्यों में नए मोटर व्हीकल को लागू ही नहीं किया गया।
तरह तरह के चालानों में बैलगाड़ी का चालान ! बस,कार,ऑटो चालक का हेलमेट न लगाने पर चालान ! ऑटो चालक का सीट बेल्ट न लगाने का चालान। आदि आदि कुछ इसी तरह के किस्में है चालानों की। शायद यही देखकर चुनावी राज्यों में नए मोटर व्हीकल को लागू ही नहीं किया गया।
चालानों के अनेक प्रकार को देख इसे नए एक्ट के महाभारत के चक्रव्यूह युद्ध की
संज्ञा दी जाए तो अतिश्योकित न होगी।
जिसमें शत्रु को अनेकों दवरों में फंसाकर घेर कर पंगु बना दिया जाता है।
आइये ! इसको परिभाषित करें : -
" नए मोटर व्हीकल एक्ट में “चालान” महाभारत के चक्रव्यूह युद्ध की भांति है, जिसमें शत्रु को द्वारों की भूल भुलैया में
फंसाकर किसी भी तरह से अर्थात “बाई हुक या बाई क्रुक” (By Hook Or By Crook) अभिमन्यु समान वाहन चालक को जुर्माने का बलिदान
देना ही होता है।"
1- कभी सड़क नियम "सही" से न पालन करने पर । "सही"का मूल्यांकन ट्रेफिक पुलिस के विवेक व् नियत पर निर्भर करता है।
2- कभी वाहन के अनेकों दस्तावेजों में से किसी की कमी होने पर । हर दस्तावेज की कमी पर जुर्माना राशि अलग-अलग जोड़ी जाती है जो वाहन की कुल कीमत से अधिक भी हो सकती है।
3- कभी वर्दी, कभी चप्पल पहनने पर तो कभी वाद विवाद के किन्तु परन्तु पर ।
अतः उपरोक्त आधार पर यह निर्विवाद सत्य व् सर्विदित है कि एक न एक दिन चालान होना ही है आखिर बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी , इस अनहोनी को मौत की तरह किसी प्रकार से टाला नहीं जा सकता Ɩ यही अटल सत्य है।
1- कभी सड़क नियम "सही" से न पालन करने पर । "सही"का मूल्यांकन ट्रेफिक पुलिस के विवेक व् नियत पर निर्भर करता है।
2- कभी वाहन के अनेकों दस्तावेजों में से किसी की कमी होने पर । हर दस्तावेज की कमी पर जुर्माना राशि अलग-अलग जोड़ी जाती है जो वाहन की कुल कीमत से अधिक भी हो सकती है।
3- कभी वर्दी, कभी चप्पल पहनने पर तो कभी वाद विवाद के किन्तु परन्तु पर ।
अतः उपरोक्त आधार पर यह निर्विवाद सत्य व् सर्विदित है कि एक न एक दिन चालान होना ही है आखिर बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी , इस अनहोनी को मौत की तरह किसी प्रकार से टाला नहीं जा सकता Ɩ यही अटल सत्य है।
अतः जनहित,सरकार हित व् देश
व् परिवार के आर्थिक हित में बीमा कंपनियों को हेल्थ, दुर्घटना, मृत्यु आदि बीमा पॉलिसी की तरह “ चालान की बीमा पालिसी” निकालनी चाहिए।
ताकि किसी भी परिवार पर इस
अचानक असमय आने वाली असहनीय विपदा का बोझ कम किया जा सके ।
नए मोटर व्हीकल एक्ट से बीमा कम्पनिंयों को इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाना चाहिए Ɩ उन्हें बीमा व्यवसाय में चालान जैसे प्रोडक्ट को लांच करना चाहिए ।
नए मोटर व्हीकल एक्ट से बीमा कम्पनिंयों को इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाना चाहिए Ɩ उन्हें बीमा व्यवसाय में चालान जैसे प्रोडक्ट को लांच करना चाहिए ।
बैंकों में भी बचत खातों पर 12 रूपये वार्षिक क़िस्त पर दो लाख तक का दुर्घटना बीमा की तरह, चालान बीमा शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
जब एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा खुलता है। अतः नया मोटर व्हीकल एक्ट व्यवसाय का एक सुनहरे
अवसर लेकर आया है जिसमें बिजिनेस की अपार सम्भावनायें है। किसान , मजदूर
, मजबूर, अमीर
गरीब सभी इसकी जद में है आइये जुर्माने की चिंता छोड़ इस व्यवसाय पर सकारात्मक
रूप से विचार करें।
जय हिन्द ! जय भारत !
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