28.12.12

टयूनीशिया-इजिप्ट जैसे जन आन्दोलन क्यों ?


टयूनीशिया- इजिप्ट ( मिश्र ) देशों में वर्ष 2011 में जन आन्दोलन ने दशकों से सत्ता से चिपके तानाशाहों को उखाड़ फैका / जहां टयूनीशिया के राष्ट्रपति जैन अल आबिदिन बिन अली ( "अली ") ने 1987 से 2010 तक लगभग 23 वर्ष देश पर शासन किया वहीं इजिप्ट ( मिश्र ) के राष्ट्रपति होश्नी मुबारक ( " मुबारक ") ने 1981 से 2010 तक लगभग 30 वर्ष शासन किया / लम्बे शासन में दोनों देशों की जनता लगभग एक ही तरह की समस्या से जूझ रही थीं जैसे -
1 - भयंकर बेरोजगारी
2-- रोजमर्रा खाने पीने की चीजों में भारी मूल्य वृद्धि
3-- फैला व्यापक भ्रस्टाचार
4-- बोलने की आजादी पर रोक
5-- राजनैतिक स्वतंत्रता की रोक
6-- निम्न जीवन स्तर
     इंडिया में उपरोक्त में 4 व् 5 को छोड़ जाए, ( 4 नंबर कारण - "बोलने की आजादी "  पर भी आंशिक रूप से   I.T.Act. Section 66 A के माध्यम से रोक लगाने की कोशिश हो रही है ) निम्न को भी शामिल किया जा सकता हें-
1- क़ानून व्यवस्था
2- केंद्र की सत्ता में जन -प्रतिनिधि का जनता के बीच संवादहीनता व् अनुपस्तिथि
3- लोगों की घटती क्रय शक्ति
4- सरकारों का सामाजिक जिम्मेदारी से पल्ला झाडना ( जेसे तेल के दाम, गैस सिलेंडर , बिजली , पानी, किराया , सड़क टोल , स्कूल का खर्च , दवाई का खर्च , आदि के दामों में बेतहाशा वृद्धि )
5- टेक्सों में वृद्धि
6- सरकार को एक कॉरपोरेट सेकटर के तरह से चलाने की कोशिश
इन्ही सब कारणों से लोग सरकार से नाराज हें / इस लिए जब भी कोई दिल हिलाने वाली वारदात होती हें जैसी कि दिल्ली में सामूहिक रेप काण्ड की घटना तो लोग ,नेता व् सरकार पर भरोसा न कर ,स्वयं ही जन -आन्दोलन में उतर आन्दोलन में उतर पड़े  / इसकी सीख शायद जनता ने अरब देशों के टयूनीशिया- इजिप्ट के जन आन्दोलनों से ली हें /
अगस्त 2011 में अन्ना को  तिहाड़ में बंद कर सरकार के रणनीति कारों ने एक विशाल जन -आन्दोलन को खडा कर दिया / भारत एक विशाल लोकतंत्र हें जहां पर गावं पंचायत / नगर निगम
से लेकर राज्य व् केंद्र के स्तर तक जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हें / पर  जन- आन्दोलन को देख कर लगता हें जेसे देश की जनता तानशाही / राजशाही के खिलाफ आन्दोलन कर रही हो /  कारण -देश में प्रधानमंत्री पद पर अटल जी , इंदिराजी , राजीवजी , नरसिम्हाराव  जैसे जनाधार नेता का न होना भी हो सकता हें / लोगों को समस्या के हल के लिए कभी प्रधानमंत्री जी ,कभी राहुल जी, कभी सोनिया जी की और आस भरी नजरों से देखना पड़ता हें जेसे कि गैस सिलेंडर के केस में या अन्य अनेकों मौकों पर / समय पर निर्णय लेने में देरी हो जाती हें जो जनता की एक नाराजगी का कारण बन रही हें / उपरोक्त नेता रोज टी वी / जनसभा के द्वारा लोगों में मोजूद रहते थे / आज देश में ऐसे ही नेताओं की जरूरत हें जो जनता के बीच अपनी उपस्तिथि बनाये रखे / उनकी भाषा में बात करे / तभी देश में लोकतंत्र होते हुए भी टयूनीशिया- इजिप्ट जेसे जन आंदोलनों को रोका जा सकता हें /


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