दिल्ली में पानी
फ्री , पर पानी है कहाँ ?
दिल्ली में फ्री-फ्री पानी का देश-दुनिया -जहान में ढिढोरा पीटा जा रहा है, पर क्या पानी उपभोक्ता के घरों तक आ रहा है।
उदाहरण के लिए न्यू मॉडर्न
शाहदरा पॉकेट -2 , पानी बिलकुल नहीं आता ,यहां पानी की लाइन जो
कभी शाहदरा की UGR सीधे जुडी थी, राजनीती के
चक्कर में उसे हटाकर सोनिया विहार वाली पाइप लाइन
से जोड़ दिया गया , जो यहां पाइप लाइन का अंतिम
छोर है , अतः पानी की सप्लाई न के बराबर है।
पर फिर भी लोगों को इस तसल्ली है कि जहाँ शीला सरकार के
समय
पानी तो आता नहीं था, पर बिल जरूर आता था ,
वहीं अब इस सरकार की फ्री पॉलिसी में , न पानी आता और न ही बिल आता । शिकायत लेकर भला कहाँ जाए।
तभी
तो - “ तुम्हें गैरों से कब फुर्सत हम गम से कब खाली “, चलो बस हो चुका
मिलना ,न हम खाली , न तुम खाली।
चलो
बात चली है तो दिल्ली के फ्री मॉडल पर कुछ
प्रकाश डाल ही लें -
रूलिंग सरकार, अपने फ्री-फ्री मॉडल को चुनावी सभा व् अन्य राज्यों
में जोर-शोर से एक
उपलब्धी के रूप में गिनाती है । जैसे फ्री मॉडल के
रूप में दिल्ली में प्रति घरेलू वाटर कनेक्शन 20 KL तक घरों में मुफ्त पानी
दिया जाता है, इस शर्त के साथ - पानी का मीटर
लगा हो, चल रहा हो , यदि पानी मीटर बंद है तो उपभोगता को दिल्ली जल
बोर्ड की पॉलिसी के अनुसार फ्री पानी बंद कर
, पानी बिल का पूरा भुगतान करना पड़ता है। जिसमें मकान के एरिया
के अनुसार मासिक स्थाई शुल्क व् सीवर/ सर्विस शुल्क आदि शामिल है।
अतः दिल्ली में फ्री
का मॉडल होने पर भी , काफी लोगों को पानी फ्री में
नहीं मिल रहा है। पानी बिल शीला सरकार की तरह वसूले जा रहें है। दिल्ली सरकार ने
उन दरों को जरा भी कम नहीं किया है। फ्री के चक्कर में न ही
लोगों ने इस ओर ध्यान दिया है। न ही पानी की बढ़ी दरों
को कम करें की मांग की , सभी बढ़ी दरों से अनजान है
करोड़ों
खर्च कर दिल्ली के फ्री मॉडल की वैसे तो बड़े-बड़े विज्ञापनों , सभाओं में ब्रांडिंग की
जाती है , परन्तु यह भी ध्यान
देने योग्य बात है कि दिल्ली में पहले भी घरेलू उपभोगता को पानी केवल
11 रूपये महीना टोकन अमाउंट पर
सप्लाई होता था ,
जो MCD
से
लेकर 1993 में बनी दिल्ली -विधान सभा जिसमें BJP सरकार बनीं में भी टोकन अमाउंट पर घरेलू पानी सप्लाई होता था । पानी की
आपूर्ति भी ठीक थी।
इंट्रस्टिंग यह भी है कि भले ही उस समय घरेलू उपभोगता को पानी टोकन अमाउंट पर
सप्लाई होता था, परन्तु सरकार ने इसे किसी उपलब्धि के रूप में नहीं लिया।
परन्तु आज- जो
दिखता है वही बिकता है का युग है , अतः आज सरकार इसी फ्री फॉर्मूला की ब्रांडिंग कर
,
बेच रही है।
शीला सरकार ने पानी की दरों
में बेतहासा बढ़ोतरी की , जिसे अभी भी
वर्तमान में उसी रूप में रखा हुआ है , टर्म्स एंड
कंडीशन के साथ अर्थात शर्ते लागू की पॉलिसी के तहत पानी भले ही फ्री हो , परन्तु कभी न कभी उपभोक्ता को चुकाना ही पड़ेगा। जैसे अभी भी पानी का मीटर बंद होने
पर उपभोगता चुका रहा है।
सरकार को वर्तमान में पानी की दरों को ,जिसमें पानी की रीडिंग
के अतिरिक्त स्थाई शुल्क व् सेवा शुल्क शमिल है को घटा कर MCD /BJP सरकार की तरह टोकन अमाउंट पर
रखना चाहिए। यदि वर्तमान सरकार पूर्व की तरह ही पानी की सप्लाई, बिलों की दरों
में कटौती कर टोकन अमाउंट पर घरेलू पानी सप्लाई करे , तभी फ्री पानीं की पॉलिसी को
सही अर्थों में फ्री कहा जा सकता है।
क्या
सरकार घरेलू पानी की सप्लाई पर ध्यान देकर , पानीं के बिलों में
पानीं की दरों को कम करने की दिशा में पहल करेगी। जिसमें बिलों
में स्थाई शुल्क व् सेवाशुल्क को समाप्त आदि शामिल है।