4 वर्ष के कार्यकाल में मोदी
सरकार ने काफी चर्चित व् सराहनीय कार्य किये जैसे अरब देशों में फंसे
भारतीयों की सुरक्षित व् सफल वापसी, सर्जिकल स्ट्राइक, ऑपरेशन ऑल
आउट, नोट बंदी, एक देश-एक टैक्स- GST, आदि-आदि । परन्तु अभी भी एक कार्य
ऐसा है जिसे तुरंत पूरा किये जाने की आवश्यकता है। वो
है- सिक्का-बंदी।
जैसा
कि सभी जानते है कि नोट बंदी के बाद चलन (Circulation) में भारी
मात्रा में देश रूपये के सिक्के आ गए । बैंक, आम जनता इनके माध्यम
से लेन -देन में असुविधा का अनुभव करते है। धातु के बने यह सिक्के
रख-रखाव व् लेन-देन में असुविधाजनक होने के कारण बैंक भी ग्राहक के खाते
में जमा करने से हिचकते है।
बैंकों
में न जमा होने के कारण आम भारतीयों की व्यापारिक तरल
पूंजी इन दस रूपये के सिक्कों में फंस कर रह गयी है।
अभी हाल में ही एक न्यूज आयी कि मिल्क की एक कम्पनी के पास पचास लाख से ऊपर
के अधिक के दस रूपये के सिक्के है । ऋण वापसी में बैंक इन सिक्को को लेने से
आना-कानी कर रहा है । जिससे उस कम्पनी का बैंक लोन डिफाल्टर का खतरा पैदा हो
गया है। पेट्रोल पम्प आदि में इन सिक्को के भारी मात्रा में जमा होने की खबर
है।
इस आधार कहा जा सकता है कि दस
के सिक्को के रूप में देश में करोड़ों
रूपये की तरल पूंजी का धारा प्रवाह रूक गया है। व्यापारिक पूंजी ब्लॉक
हो गई है।
इससे
छोटे फुटकर व्यापारी जैसे दूध वाले, फल-फूल-सब्जी वाले, चाय वाले, कबाड़ी, आइस
क्रीम वाले व् इसी प्रकार के छोटे-छोटे व्यापारी के व्यापार पर विपरीत
प्रभाव पड़ रहा है।
केंद्र
सरकार से अनुरोध है कि साफ़ सुथरे सिक्कों की पॉलिसी के तहत बिना किसी देरी
के सिक्के-बंदी की नीति लागू करे। जिसके अंतर्गत दस के
सिक्के के अतिरिक्त अप्रचलित व् खराब हुए सिक्को को बैंकों
या किसी अन्य एजेंसी के माध्यम से वापिस लिया जाए। ताकि छोटे व् मझोले
व्यापारियों को आर्थिक संकट से समय रहते बचाया जा सके। यकीन मानिए इस सिक्के-बंदी
से सरकार को सबका साथ मिलेगा और सिक्का-बंदी
में अवरुद्ध पूंजी पुनः बाजार में आने पर सबके विकास भी होगा ।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.