बिटिया की चिंता सभी माता-पिता को होती है। आजकल परिवार में बच्चों की संख्या एक या दो तक ही सिमट जाने के कारण तो बिटिया का महत्व और भी बढ़ जाता है, उसकी बालपन की अटखेलिया एक सुखद की अनुभूति देती है।
8.12.24
Twins नामकरण
31.10.24
आयुष्मान वय वन्दना कार्ड -एक दीवाली गिफ्ट
आयुष्मान वय वन्दना कार्ड-एक दीवाली
गिफ्ट
घर के बुजुर्गों
की चिंता सभी को रहती है,
हम सभी अपनी-अपनी आर्थिक सामर्थ्य-क्षमता
के अनुसार उनकी सेहत का ध्यान रखते है। बुजुर्गों के स्वास्थय की परिवार की चिंता को
केंद्र की मोदी सरकार ने 29 Oct. 24 को आयुष्मान वय वन्दना कार्ड
लागू कर , काफी हद तक दूर कर दिया।
जिसके अंतर्गत 5
लाख तक निशुल्क इलाज AB PM-JAY के तहत सूचीबद्ध किसी
भी अस्पताल में पूरे
भारत में (दिल्ली व् पश्चिम
बंगाल को छोड़कर ) इलाज
कराया जा सकता है। इस योजना का लाभ सभी
जाति-धर्म व् आय के
बुजुर्ग उठा सकते है।
बस इसके लिए केवल एक अदद
आधार कार्ड होना चाहिए, जिसमें
आयु-वर्ष व मोबाइल नंबर
जुड़ा हो।
इस कार्ड को स्मार्ट
फोन से भी बनाया जा
सकता है ।
इसके लिए प्रधानमंत्री
जन आरोग्य योजना-PM -JAY - आयुमान ऐप
डाउनलोड करना होगा , जिसकी
सहायता से इसे बनाया व् डाउनलोड किया जा सकता है । अथवा इसे जनसेवा केंद्र की
सहायता से भी इस कार्ड को बनाया जा सकता है।
सचमुच में यह योजना केंद्र की आम लोगों
के जनजीवन से जुडी उन सभी
योजनाओं की तरह जैसे हर घर जल-नल,
खाने पकाने की गैस,
टॉयलेट,
पक्के मकान, किसान
सम्मान निधि, गांव में घर
स्वामित्व योजना, सूर्य घर
योजना, आयुष्मान कार्ड आदि-आदि
की तरह, आम लोगों के
जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में एक
मील का पत्थर साबित होगी।
मैंने भी आज ही परिवार की बुजुर्ग
माता श्री का आयुष्मान
वय वन्दना कार्ड अपने मोबाइल से बनाकर डाउनलोड किया
है। जो किसी दीवाली
गिफ्ट से कम नहीं।
इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार सचमुच में बधाई की पात्र है। सरकार को
इस शुभ कार्य के लिए दीवाली की
शुभ कामना व् सरकार व्
उसका संचालन करने वालों की लम्बी उम्र की लम्बी हो ,
ऐसी कामना
! हम सभी को दीवाली
शुभ हो
!
जय हिन्द जय भारत
5.9.24
दिल्ली -मेरठ-मुजफ्फरनगर रेल शटल
दिल्ली -मेरठ-मुजफ्फरनगर रेल शटल - इस रेल मार्ग पर रेल
यात्रियों की तेजी
से बढ़ोतरी हुई है ,
वर्तमान में चलने वाली सभी ट्रेनों में मारी-मारी की स्तिथि है।
यात्रियों का ट्रेनों में खड़े
होकर भी यात्रा करना
किसी सजा से कम नहीं ।
जैसा
कि विदित
ही है, मेरठ-मुजफ्फरनगर राष्टीय
राजधानी क्षेत्र में आते है, अतः इस रेल मार्ग पर भी “ फरीदाबाद-गाजियाबाद-अलीगढ़-दनकौर-शामली” की
तरह लोकल ट्रेन्स
MEMU / EMU को चलाये जाने
की आवश्यकता है।
वर्तमान
में फरीदाबाद -गजियाबाद् वाली लोकल
ट्रेनों को मेरठ-मुजफ्फरनगर तक विस्तार देकर यात्रियों को राहत दी जा
सकती है।
यात्रियों के लिए इससे
बड़ा मजाक क्या हो सकता है कि
दिल्ली से
मेरठ-मुज़फ्फरनगर के लिए सुबह के समय पहली
अनारक्षित सुपर फ़ास्ट
ट्रेन संख्या 20411
है जो 9.40 A.M
पर दिल्ली से चलती है , इससे
पहले इस मार्ग
के यात्रियों के लिए कोई अनारक्षित ट्रेन
नहीं है।कोरोना से
पूर्व दिल्ली
-कालका पैसेंजर
ट्रेन चलती थी जिसका संचालन अभी तक नहीं हो पाया है।
वर्तमान में रेल
यात्रियों की संख्या को देखते हुए , दिल्ली से वाया दिल्ली-शाहदरा सुबह 5 से 6 के
बीच एक एक्सप्रेस ट्रेन मेरठ-मुजफ्फरनगर
के बीच चलाई
जानी चाहिए।
वर्तमान में 19031 जो
दिल्ली से 5.05 am
पर चलती है , में
जनरल कोच की संख्या कम होने के कारण यात्री या तो स्टेशन पर खड़े रह जाते
है या फिर मजबूरन रिज़र्व
कोच में जुर्माना या कुछ ले देकर यात्रा करते है
इसी तरह शाम के समय लगभग 6 बजे मुजफ़्फ़रनगर
से दिल्ली के लिए ट्रेन की
आवश्यकता है। गाड़ी
संख्या 19032 जो
यहां
6.30 pm पर आती है सभी
ट्रेन यात्री भीड़
के कारण चढ़
नहीं पाते।
यूं तो रेल मदद के माध्यम से इस विषय को अनेकों बार
उठाया जा चुका है परन्तु हल अभी तक नहीं निकला है।
आशा है रेल प्रशासन इस ब्लॉग व् रेल मदद के माध्यम से उठाई
जाने वाली समस्या पर अवश्य ही कुछ कदम उठएगा ।
जय
हिन्द! जय भारत !
21.8.24
जीवन के चौथे चरण में रिवर्स पलायन
जीवन के चौथे चरण में रिवर्स पलायन
सैल्मन मछली की तरह हर मानव की इच्छा होती है कि जीवन के चार चरणों में से बाकी बचे चौथे
चरण के कुछ पल- समय अपने उस पैतृक स्थान पर गुजारे जहां उसके बचपन की यादें जुडी है. जब लोग इस पर अमल
करते है तो इसी को जीवन के चौथे
चरण में रिवर्स पलायन कहा जा सकता है। भारतवर्ष में सैल्मन मछली के स्वभाव वाले लोगों की कोई कमी नहीं है। लोग काम काज से फुर्सत पाकर जीवन के पड़ाव के चौथे चरण को पैतृक स्थान पर गुजारना पसंद करते है। जो रिवर्स पलायन का ही एक रूप है। यह रिवर्स
पलायन उस राज्य में, जहां ये लोग जीवन के चौथे चरण में रिवर्स पलायन चाहते है , किसी एक वरदान से कम नहीं ।
यहां यह लोग कैपिटल लाते है , मकान , जमीन , उद्योग आदि में पैसा लगाते है जिससे राज्य की आय होती है रोजगार के अवसर पैदा होते है। इस तरह के लोग नयी व् पुरानी पीढ़ी के बीच कड़ी का काम करते है। जो समाज , देश को एक दूसरे से जोड़ने में हितकर है । यह लोग अपने गांव-देहात आकर अपनी पुस्तैनी खेती बॉडी के काम में जुड़ जाते है। कुछ सामाजिक कार्य करते है। शायद यही कारण है इन लोगों को ओल्ड होम जैसे सेलटरों की जरूरत ही नहीं पड़ती। और तनाव रहित स्वस्थ जिंदगी मजे से गुजारते है।
यहां रहकर यह वर्ग पैतृक जमीन से , परिवार की नई पीढ़ी को भी जोड़ देते है। जिन्हें यह स्थान शहर से दूर हवा पानी चेंज करने के साथ , किसी पिकनिक स्पॉट से कम नहीं लगता। जो उनकी सेहत व् तनाव दूर करने में सहायक होता है ।
खेल-खेल में
बच्चे पूर्वजों की धरोहर , मिट्टी में फ़ैली बासमती सुगंध से भी जुड़ जाते है। यही रिवर्स पलायन करने वाले लोग नई पीढ़ी में गांव शहर की खाई को पाटता है , गावं से जोड़ता है। मजे की बात यह भी है कि ऐसा करने से इन स्थानों से नई पीढ़ी का जुड़ाव सदा -सदा के लिए बना
रहता है।
निश्चित ही इसका श्रेय जीवन के चौथे चरण में रिवर्स पलायन करने वाले लोगों को दिया जाना चाहिए , जो ऐसा कर परिवार की जड़ों को मजबूत करते है , देश की एकता अखंडता में एक महत्वपूर्ण योगदान देते है । आइये रिवर्स पलायन को एक एडवेंचर के रूप में लें।
जय हिन्द , जय भारत
24.7.24
दिल्ली-रुड़की-लक्सर इंटरसिटी ट्रेन
दिल्ली-रुड़की-लक्सर इंटरसिटी ट्रेन
रुड़की-लक्सर ( उत्तराखंड ) हरिद्वार जिले के अंतर्गत आता है। वर्तमान में इस क्षेत्र में काफी औद्योगिक इकाइयां है जो देश में आर्थिक योगदान के साथ साथ लोगों को रोजगार देने का कार्य कर रही है। यहां स्थापित औद्योगिक इकाइयों के अधिकतर मुख्य कार्यालय दिल्ली या उसके पास स्तिथ है।
इसी लिए दिल्ली से काफी संख्या में रेल यात्री प्रतिदिन सफर करते है। वर्तमान में इस रेल खंड पर दिल्ली से कोई इंटरसिटी नहीं है।
क्षेत्र के विकास व् इस क्षेत्र की रेल मार्ग से बेहतर कनेक्टिविटी के लिए उत्तर रेलवे द्वारा दिल्ली-रुड़की-लक्सर ( वाया दिल्ली-शाहदरा-मेरठ-मुज़फ्फरनगर-देवबंद ) एक इंटरसिटी ट्रेन चलाये जाने की आवश्यकता है।
19.7.24
खाद्य पदार्थ विक्रेताओं का शॉप पर एक्छिक रूप से नाम का डिस्प्ले बोर्ड
14.7.24
दिल्ली -मेरठ रैपिड मेट्रो हरिद्वार तक विस्तार
13 जिलों, 2 मंडलों (गढ़वाल व् कुमायूं) व् विशेष
दर्जा प्राप्त उत्तराखंड जो जिसकी सीमा देश के अन्यों राज्यों हिमाचल
व्के उत्तरप्रदेश के अतरिक्त चीन/तिब्बत , नेपाल से मिलती है। इस राज्य का
निर्माण ,9 नवम्बर 2000 को हुआ। उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार तीर्थ स्थल का एक महत्वपूर्ण स्थान
रखता है।
यह राज्य हरिद्वार तीर्थ स्थल के अतिरक्त महत्त्वपूर्ण इंडस्ट्रियल एरिया जैसे
सिडकुल हरिद्वार, भगवानपुर इंडस्ट्रियल एरिया, लिबबरेड़ी इंडस्ट्रियल एरिया , लक्सर / खानपुर भी रखता है, जो
राज्य व् देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार में एक महत्वपूर्ण योगदान
देता है।
यह
हर्ष का विषय है जो सत्य भी है कि देवभूमि उत्तराखंड के निमार्ण के बाद से हरिद्वार
आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में तीव्र वर्द्धि हुई
है जो राज्य के पर्यटन उद्योग व् रोजगार के लिए एक शुभ संकेत है।
प्रत्येक शनिवार
व् रविवार को सड़कों पर यातायात से
इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। इन दिनों सड़क पर ट्रेफिक बढ़ जाता है व् जाम की स्तिथि पैदा हो जाती है। ट्रेनों में हरिद्वार तीर्थ यात्रियों की असमान्य भीड़ है। नेशनल
हाइवे मंगलोर कस्बे में शनिवार व् रविवार को हाइवे पर जाम लगना आम
बात है। यहां बाई पास या फ्लाईओवर की आवश्यकता है।
हरिद्वार में वर्ष भर तीर्थ यात्रियों का भारी संख्या
में आवगमन होता है , कुम्भ मेला, वार्षिक
कावड़ यात्रा आदि के समय तीर्थ यात्रियों की अभूतपूर्व रूप से संख्या बढ़ जाती है , तीर्थ यात्रियों
को आवागमन में काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। एक तरह
यह तीर्थ व तीर्थ यात्री हरिद्वार देश को जोड़ने का काम करता है। यह आवागमन अखंडता
के लिए एक अभूतपूर्व कार्य करता है।
वार्षिक
कावड़ यात्रा के समय प्रशासन किसी अप्रिय घटना के डर से यातायात को कुछ समय के लिए नियंत्रित
करता है , वार्षिक कावड़ यात्रा प्रत्येक वर्ष जुलाई में
होती है। वर्ष 2024 पवित्र कावड़ यात्रा व् ट्रेफिक को नियंत्रित करने
का समय 22 जुलाई से 2 अगस्त की बीच है।
निश्चित रूप से इससे उद्योग धंधो, सामान्य यात्रियों
के आवागमन पर थोड़ा बहुत विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। परन्तु देश व् असंख्य सनातनी तीर्थ यात्रियों व् उनके साथ
जुड़े रोजगार व् धार्मिक भावना को देखते हुए, यह कुछ भी नहीं है ।
हरिद्वार में भारी तीर्थ यात्रियों की संख्या को देखते हुए , उद्योग धंधो , अन्य
यात्रियों के आवागमन सुगम बनाने के लिए व कुम्भ
मेले के समय दिल्ली, गाजियाबाद मेरठ, मुजफ्फरनगर , रुड़की आदि शहरों के इंफ्रास्ट्रक्टर का उचित भरपूर
प्रयोग करने के लिए दिल्ली -हरिद्वार तक एक समर्पित ( डेडिकेटेड )
ट्रेन कॉरिडोर की तीव्र आवश्यकता है, क्योंकि इस समय तीर्थ यात्रियों की भीड़ को देखते हुए रेल , बस या
अन्य यातायात के साधन कम पड़ते नजर आ रहें है।
इसी
बात को दृटिगत रखते हुए , केंद्र की मोदी सरकार से ( जो अपने जनहित व्
दृढ निर्णय लेने की माहरत रखती है ) व् अभूतपूर्व रूप
से केंद्र में नॉन कांग्रेस लगातार तीसरी बार आयी है ,
अनुरोध है कि जल्द ही दिल्ली-मेरठ रेपिड मेट्रो कॉरिडोर को मुजफ्फरनगर-
रुड़की होते हुए हरिद्वार तक विस्तार देने की दिशा
में विशेष कदम उठाये।
जय
हिन्द ! जय भारत !
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