7.7.13

थॉमस माल्थस का जनसंख्या सिधांत व् प्राक्रतिक आपदा


32 वर्षीय  बिर्टिश  अर्थशास्त्री  थॉमस माल्थस ने वर्ष 1798 में    "An Essay on the Principle of Population" में  जनसंख्या   सिन्धांत प्रतिपादित  किया ! जिसमें  अन्य बातों  के   अलावा यह  भी बताया कि  प्रक्रति   बढती जनसंख्या  को  अपने  संसाधनों के अनुरूप  नियंत्रित  करती रहती है/   जनसंख्या  बढ़ोतरी  ज्यामितीय  (geometrically)  तरीके से बढती  है जैसे - 1, 2, 4, 16, 32, 64, 128, 256 etc/  भोजन  व् अन्य  प्राक्रतिक साधन अंकगणितीय (arithmetically) तरीके  से / जैसे -1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, etc.
इसी  से  जनसंख्या,  भोजन व्  प्राक्रतिक  साधनों में अंतर गड़बड़ा  जाता है  और  प्रक्रति  को उसमें संतुलन   स्थापित करना पड़ता  है/
कुछ उपायों में   जनसंख्या रोक पर प्रक्रति-कुदरती तरीके से रोक लगाती है / भूख,  महामारी, अकाल, बीमारी, प्राक्रतिक-आपदा, युद्ध  जैसी विभीषिका   उन्हीं   तरीकों में शामिल है / ये प्रक्रति का   जनसख्या व् अपने संसाधनों में   संतुलन- सामंजस्य   बनाने का तरीका है /  तुलसीदास-रामचरित मानस की चौपाई में –“ऐहिक देविक भौतिक तापा”  का उल्लेख है /
  अतीत में हुए अकाल, महामारी, युद्ध, प्राकृतिक-आपदा जिसमें  सुनामी, बाढ़, भूकंप आदि इसके  उदाहरण  है/ अभी हाल ही में  आई उतराखंड - केदार नाथ तीर्थ स्थान पर आई आपदा जिसमें हजारों लोग अकाल  म्रत्यु को  प्राप्त हुए इसका ताजा उदाहरण  है / ये केदारनाथ में जनसंख्या विस्फोट यानी प्राक्रतिक संसाधनों व् जनसंख्या की बीच असंतुलन का ही परिणाम है/  देश व् विदेश में  रोजाना आतंक की घटनाएं घट  रही  है जिसमें   सैकड़ों लोग असमय मौत का  शिकार हो रहें है, भी जनसंख्या विष्फोट का परिणाम है /
 समाधान एक ही है- जनसंख्या विष्फोट से बचा जाए   ताकि प्रक्रति  व् जनसंख्या के बीच असंतुलन न पैदा हो व्   समय रहते   प्रथ्वी   जैसे रहने  लायक किसी अन्य गृह  की खोज  की जाए/ जनसंख्या का एक स्थान पर केन्द्रीय करण की जगह विकेन्द्रीयकरण (पलायन ) ही इसका एक   मात्र हल  है / इससे प्रक्रति का संतुलन बरकरार रहेगा /अन्यथा संकुचित होते प्रक्रति  साधनों के  कारण प्रक्रति को थॉमस माल्थस की  जनसंख्या  की थ्योरी पर अमल करने को मजबूर होना पड़ेगा/ और जब तक प्रक्रति  जनसंख्या व अपने साधनों में संतुलन नहीं कर लेती तब तक   असमय  , क्रूर  म्रत्यु का शिकार होना पड़ेगा/ अब देखना है  प्रक्रति  बुध्धिमान है या  मनुष्य ?

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