सामाजिक हालात देखते हुए ,बेटियों की चिंता पैदा होते ही शुरू हो जाती है। ट्विन्स अभी कुछ ही दिन के थे । उनके नामकरण को
लेकर माथापच्ची शुरू हो गई। कि क्या नाम रखा जाए। पुराने समय में नाम को लेकर इतना झमेला न था।
बच्चे का नामकरण मिठाई के नाम पर जैसे इमरती , जलेबी ,रबड़ी या किसी फूल
-फल के नाम पर जैसे चमेली , गेंदा , गुलाब, अनार ,केला या
भगवान के नाम पर जैसे शिव, पार्वती ,
राधा , कन्हैया आदि पर
हो जाया करता था। जो ज्यादा नुक्ताचीनी वाले लोग होते
थे वो गुरू से नामकरण करवा लेते थे जैसे रामदेव, आदि ।
परन्तु ग्लोबल हुई गूगल की
दुनिया में आज बच्चों के नामकरण में राशि , अक्षर , स्पेलिंग के साथ साथ एक अलग से पहचान वाला नाम
रखने की परम्परा शुरू हो गई है। इसी लिए इन ट्विन्स के नामकरण को लेकर भी
यही रस्साकसी चली । कोई कहता परिवार में सभी एक ही अक्षर व राशि वाले है. अतः अबकी बार ट्विन्स का नामकरण किसी अन्य अक्षर पर होगा। ट्विन्स के नामकरण की वीटो पॉवर
माताश्री ने अपने हाथ में रख ली। परिवार के सभी सदस्य मार्गदर्शक मंडल की तरह
सुझाव तो दे सकते थे। परन्तु मानना न मानना माताश्री
पर निर्भर था। नामों को लेकर गूगल पर सर्च किया जाने लगा।
माताश्री दवरा किसी न किसी बात पर नामों में मीनमेक
निकाल कर रिजेक्ट कर दिया जाता। नामों की इन्हीं उधेड़बुन में लगभग तीन-चार माह से ज्यादा का समय बीत गया। अब समस्या यह
उत्पन्न हुई ट्विन्स को क्या कह कर पुकारा जाए। घर के बुजुर्ग सदस्यों ने
कार्यवाहक सरकार की तरह ट्विन्स के पैदा होने के
एक मिनट के अंतर को छोटे -बड़े का आधार बनाकर निक नेम रख डाले – “चुटटन –मिठठन” । ट्विन्स को इन्ही नामों से बुलाया जाने लगा। थक हार कर ,अंत में माताश्री को यह समझाया गया कि दिल्ली नगर निगम में एक वर्ष के भीतर ही बिना नाम वाले जन्म प्रमाण पत्र में नाम दर्ज कराया जा सकता है। एक वर्ष पश्चात केवल SDM दफ्तर से ही बिना नाम वाले जन्म प्रमाण पत्र में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन कर नाम जुड़वाया जा सकता है । हार मान , मन मसोस कर , माताश्री ने ट्विन्स के नामकरण को अनमने मन से स्वीकृति दी। नाम रखते हुए माता श्री की हालत ठीक वैसे थी
जैसी कोई आम के पेड़ पर लगे असंख्य सुंदर- सुंदर फलों को देखकर उनके से एक फल को चुनने का निर्णय न कर पा रहा हो। फल चुनने वाला हर बार फल चुनने के बाद दूसरे फल की ओर इस
उम्मीद में लपकता है क़ि दूसरा ज्यादा अच्छा है। खैर राम-राम करके भगवान की कृपा से अंततः
ट्विन्स का नाम सदा के लिए अंतिम रूप से नगर निगम के रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। नाम वाला
बर्थ सर्टिफिकेट ले माताश्री ने सर्टिफिकेट को चूम लिया
व धीरे से ट्विन्स को नामों से पुकारा। आराध्या ! अनन्या
! ट्विन्स के मुस्कराने पर माँ का वात्सल्य उमड़ पड़ा। लगा जैसे संसार भर की
खुशियाँ झोली में आ गिरी हों। मानों ट्विन्स ने भी मुस्कराते हुए अपने नामों को मौन
स्वीकृति दे दी हो। बार बार नामों को
पुकार कर , भाव
विभोर हुई माँ ने मुस्कराते ट्विन्स का माथा चूम, अपने आँचल
में छुपा लिया।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.