देश में लागू एकपक्षीय विवादित क़ानून
इन दिनों देश व् तमाम सोशल
मीडिया में कांग्रेस की तत्कालीन सेक्युलर सरकार दवरा मनमाने ढंग से
पारित एकपक्षीय दो कानूनों की खूब चर्चा है -
उनमें से पहला है -
सोशल मीडिया में आम भाषा
में कहा जाना वाला "वर्शिप एक्ट" ( The Places of Worship (Special
Provisions) Act, 1991, जिसका जिक्र वाराणसी ज्ञानवापी (शाब्दिक ज्ञान का कुवां ) केस में श्रृंगार गौरी में पूजा अर्चना की मांग को लेकर दायर याचिका के
सुनवाई में
बार-बार हुआ व् जिला जज ने भी इस वाद
में विपक्ष
की " वरशिप एक्ट" के तहत दी गयी दलील , जिसमें राममंदिर
को छोड़ सभी
हिन्दू धार्मिक स्थलों की यथस्तिथि
की बात कही गयी है, को यह कह
कर ख़ारिज दिया कि यह एक्ट इस वाद में लागू नहीं होता व् वाद को सुनवाई योग्य माना।
जो इस एकपक्षीय ढंग से
पारित कानून की
लचरता को दर्शा रहा है। ठीक इसी तरह
की अतार्किक दलील प्रतिपक्ष दवरा - श्री मथुरा श्री कृष्ण भूमि विवाद में दी जा रही है।
इन दिनों दूसरा क़ानून
- वक्फ
एक्ट - 1995 है जिसे
तत्कालीन कांग्रेस ने 2013
में पक्षपात पूर्ण तरीके से संशोधित कर वक़्फ़
बोर्ड को
इतनी पॉवर दी , सोशल
मीडिया कह
रहा है वक्फ बोर्ड जहाँ
भी उंगली रख
दे , वो
जमीन उसकी , सोशल
मीडिया वक्फ की
ताकत को
देश के क़ानून से भी ऊपर बता
रहा है
.
इन दिनों वक्फ की शक्ति एक मजेदार नमूना तमिलनाडू से सुर्खिया में आ रहा है। टाइम्स नाउ ने
इसकी अच्छी व्याख्या की है।
वक्फ
बोर्ड ने तिरुचेंदुरई के पूरे के
पूरे हिन्दू गांव
को ही वक्फ बोर्ड की
सम्पत्ति ही घोषित
कर दिया, जिसमें गावं का 1500 वर्ष
पुराना हिन्दू
मंदिर भी है जो भारत में आये इस्लाम
से भी
पूर्व का है , इसका पता वहां के स्थानीय किसान श्री एन राजगोपालको को तब लगा जब वे अपनी 40 वर्ष
से कब्जे
में 1.2 एकड़ कृषि भूमि को
बेटी की शादी के लिए बेचने की कोशिश करने लगे , पता लगा यह जमीन तो तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की है। उसे बेचने के लिए भी वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना होगा। लो भई कमाल की वक्फ बोर्ड की शक्ति है।
आज श्री एन राजगोपालको के साथ
अन्याय व्स धोखे के साथ समूचा सनातन
धर्म है। तथा मांग है कि सरकार इस अन्याय, धोखेदड़ी
के खिलाफ एक्शन ले ।
यहां बड़े दुःख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि कन्या विवाह , शिक्षा आदि में योगदान हिंदू मंदिर
के दान से किया जा सकता है परन्तु सरकारों
दवरा लाखों
मंदिर अधिग्रहित
है , जिसके दान सरकारी खजाने
में जाता है। बिना अनुमति के यहां का दानदाता सनातनी की सहायता भी नहीं कर सकता। । खैर सेक्युलर देश में
केवल हिन्दू मंदिरों व् उनकी दान की आय पर ही
सरकारों का कब्जा पर चर्चा क्यों ? फिर कभी !
सोशल मीडिया ने उपरोक्त इन दो विवादित व्
एकपक्षीय कानूनों
की पोल खोल कर रख दी है , सर्वोच्च
न्यायलय ( सुप्रीम कोर्ट ), केंद्र सरकार को स्वतः संज्ञान ले इस
इसके विवादित
शक्तियों तुरंत समाप्त/संशोधित
करना चाहिए।
या फिर दो वरशिप एक्ट व् वक्फ एक्ट कानूनों को कृषि
कानूनों की तरह संसद में बिल लाकर समाप्त नया क़ानून बनाने की दिशा में पहल करनी चाहिए।
जय हिन्द ! जय भारत !
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