24.7.24

दिल्ली से मेरठ- रुड़की- लक्सर तक एक्सप्रेस ट्रेन


दिल्ली  से मेरठ- रुड़की- लक्सर  तक एक्सप्रेस ट्रेन 

यदि इस ओर गौर किया जाए तो  पाते है कि इस समय  रेलवे  अधिकतर  दिल्ली  गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर-हरिद्वार रेलमार्ग पर  सहारनपुरमेरठ-अम्बाला, हरिद्वार-देहरादून  के  ओर  के यात्रियों को ध्यान में रखकर  ट्रेन चला  रहा है।  

परन्तु  जैसा की ज्ञात ही है कि  उत्तराखंड के हरिद्वार जिले का  रुड़की-ढंडेरा (रुड़की केंट ) -लंढौरा-लक्सर ( लक्सर-खानपुर इंडस्ट्रियल  एरिया ) तेजी से विकसित  हो रहा है।   इसी कारण  इन  क्षेत्रों के यात्रियों की  दिल्ली से रेलवे की जरूरत बढ़ी है। 

इन्हीं सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए  रेलवे को दिल्ली से सुबह- शाम  (   जैसे  सुबह से 6 के  बीच  व् शाम लगभग से 5   के बीच ,   दिल्ली -मेरठ -रुड़की -लक्सर के बीच जिसमें  दिल्ली -शाहदरा स्टॉपेज भी शामिल हो  , एक  इंटरसिटी  ट्रेन चलानी चाहिए।   

 रेलवे व् सम्बन्धित  विभाग को इस ध्यान देना चाहिए।  इससे इस ओर  आने जाने वाले  असंख्य यात्रियों को यात्रा में लाभ मिलेगा। 

 

19.7.24

खाद्य पदार्थ विक्रेताओं का शॉप पर एक्छिक रूप से नाम का डिस्प्ले बोर्ड

प्रशासन दवरा  कावड़ मार्ग पर  खाद्य  पदार्थ  विक्रेताओं  को  दुकान  के बाहर  व्यापारिक प्रतिष्ठान  के खड्या नाम  के साथ साथ  , दुकान के स्वामी का नाम  डिस्प्ले  बोर्ड  का ऐच्छिक उल्लेख  करना  की सलाह दी गयी है।  ऐसा इस लिए किया गया  ताकि कावड़ की पवित्र  यात्रा के दौरान  तीर्थ  यात्री  उस  स्थान की  शुद्धता  व् स्वच्छता का पहली नजर में ही अनुमान लगा सके।  व्  किसी प्रकार के झगड़े की आशंका  न हो। 
 प्रशाशन की इस  सलाह से  भला  किसे  को क्या आपत्ति  हो सकती है ?  एक शुद्ध शाकाहारी  सनातनी -हिन्दू ,  जैन आदि  उपभोगता को   खाद्य पदार्थ खरीदते  समय यह अधिकार है कि  वो  जिस खाद्य पदार्थ   को खरीद  कर खा रहा है , उसमें शुद्धता का ध्यान  रखा  गया है या  नहीं। ऐसा  फ़ूड सिक्योरिटी  एक्ट 2006  जो यूं पी  ए  सरकार के समय पास हुआ व् वर्ष 2011  में लागू किया गया , इसके एक्ट के अंतर्गत भी इसी तरह का  प्रावधान किया गया है।  भला इस आदेश में  संविधान के उलघ्घन की बात  कहाँ से आ गई।  हाँ  यह बात अवशय है कि  खाद्य  सामग्री विक्रेता इस क़ानून का अवशय उलघ्घन कर रहा है। 
  वैसे भी  शाकाहारी  लोगों के लिए खाने वाली डिब्बा बंद  वस्तुओं पर  ग्रीन  मार्क/ चिन्ह  होता  है जो इस  बात का सूचक है  की यह खाद्य  पदार्थ  शाकाहारी है।  
 आखिर विपक्षः के  कुछ नेताओं को  स्वेच्छिक  रूप से  खाद्य  पदार्थ  विक्रेताओं  को दूकान पर व्यापरिक नाम के साथ  स्वामी का  नाम प्रदर्शित करने  के आदेश पर पर इतनी आपत्ति क्यों ? 
आखिर उपभोगता  व्  तीर्थ  यात्रियों  को किसी    धर्म की तुष्टिकरण के लिए उसके मूल अधिकारों व उपरोक्त कानूनी अधिकारों से कैसे  वंचित  किया  जा सकता है।   
 उपरोक्त  तथ्यों  को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कावड़ के समय दूकान के व्यापारिक  नाम के अतिरिक्त  दुकान  स्वामी का  नाम का  एक्छिक रूप से  डिस्प्ले  बोर्ड पर  प्रदर्शित करवाने का  निर्णय  प्रशासन द्वारा लिया गया  एक  सही व् , सराहनीय  कदम है। जागो  ग्राहक के अंतर्गत यह  उठाया गया एक बुद्धिमता पूर्ण  
कदम है। 
शाकाहारी लोगों  व्के तीर्थ यात्रियों की शद्धता  व्  पवित्रता के  अधिकारो की रक्षा के लिए इस तरह का आदेश कावड़ मार्ग पर कावड़ के  समय ही नहीं वरन  पूरे  वर्ष  हर जगह  भारत में लागू होना  चाहिए।   किस मत या धर्म  विशेष के नाम पर कुछ नेताओं  कीआपत्ति का कोई अर्थ नहीं।  उपभोत्ता  व् तीर्थ यात्रियों का  अधिकार सर्वोपरी है। छल कपट से खाद्य वस्तु बेचना  सरासर  फ़ूड सेफ्टी क़ानून की श्रेणी  में आता है।  प्रशासन उत्तरप्रदेश व् उत्तराखंड प्रशासन दवरा  यह उठाया गया कदम सोलह  आने  सही कदम है। 

14.7.24

दिल्ली -मेरठ रैपिड मेट्रो हरिद्वार तक विस्तार

13 जिलों, 2  मंडलों (गढ़वाल व् कुमायूं)  व्   विशेष दर्जा प्राप्त उत्तराखंड जो जिसकी  सीमा  देश के अन्यों राज्यों  हिमाचल व्के उत्तरप्रदेश के  अतरिक्त चीन/तिब्बत  , नेपाल से मिलती है। इस राज्य  का निर्माण ,नवम्बर  2000 को हुआ।  उत्तराखंड  राज्य में  हरिद्वार  तीर्थ स्थल का एक महत्वपूर्ण  स्थान रखता   है।

   यह राज्य हरिद्वार तीर्थ स्थल के अतिरक्त  महत्त्वपूर्ण   इंडस्ट्रियल  एरिया  जैसे सिडकुल  हरिद्वारभगवानपुर  इंडस्ट्रियल  एरियालिबबरेड़ी  इंडस्ट्रियल  एरिया , लक्सर / खानपुर   भी रखता है जो राज्य  व्  देश की   अर्थव्यवस्थारोजगार  में एक महत्वपूर्ण  योगदान देता है।  

यह हर्ष का विषय है जो सत्य  भी है कि देवभूमि  उत्तराखंड के निमार्ण के बाद से हरिद्वार आने वाले  तीर्थ यात्रियों की संख्या में तीव्र   वर्द्धि  हुई है जो राज्य के पर्यटन उद्योग व् रोजगार के लिए एक शुभ संकेत है। 

प्रत्येक  शनिवार व्  रविवार को सड़कों पर यातायात  से इसका अनुमान सहज  ही लगाया जा सकता है।  इन दिनों  सड़क पर ट्रेफिक  बढ़ जाता है व्  जाम की स्तिथि पैदा हो जाती है।  ट्रेनों में   हरिद्वार तीर्थ  यात्रियों की असमान्य भीड़ है।  नेशनल हाइवे  मंगलोर कस्बे में  शनिवार व् रविवार  को  हाइवे पर जाम लगना  आम बात  है। यहां बाई पास या फ्लाईओवर की आवश्यकता है।  

 

 हरिद्वार में वर्ष भर तीर्थ यात्रियों  का  भारी  संख्या में आवगमन  होता है ,   कुम्भ  मेलावार्षिक कावड़  यात्रा  आदि के  समय  तीर्थ यात्रियों  की अभूतपूर्व रूप से  संख्या बढ़ जाती  है तीर्थ  यात्रियों को आवागमन में  काफी असुविधा का सामना करना पड़ता  है।  एक  तरह यह तीर्थ व तीर्थ यात्री हरिद्वार देश को  जोड़ने  का काम करता है। यह आवागमन  अखंडता के लिए एक  अभूतपूर्व कार्य करता है।   

वार्षिक कावड़ यात्रा के समय प्रशासन  किसी  अप्रिय घटना के  डर  से  यातायात को कुछ समय के लिए  नियंत्रित करता है  , वार्षिक कावड़ यात्रा प्रत्येक वर्ष जुलाई में होती है।  वर्ष 2024  पवित्र कावड़ यात्रा व् ट्रेफिक को नियंत्रित करने का  समय 22  जुलाई से 2 अगस्त की बीच है। 

 निश्चित रूप से इससे उद्योग धंधोसामान्य यात्रियों के आवागमन पर थोड़ा बहुत  विपरीत प्रभाव पड़  सकता है। परन्तु देश व्  असंख्य सनातनी तीर्थ यात्रियों व् उनके साथ जुड़े रोजगार व् धार्मिक  भावना को देखते हुए, यह कुछ भी नहीं है 

 हरिद्वार में भारी  तीर्थ यात्रियों की संख्या को देखते हुए उद्योग धंधो अन्य यात्रियों के आवागमन सुगम  बनाने के लिए व  कुम्भ मेले के समय दिल्ली, गाजियाबाद  मेरठमुजफ्फरनगर  , रुड़की आदि शहरों के इंफ्रास्ट्रक्टर का उचित  भरपूर प्रयोग करने के लिए  दिल्ली -हरिद्वार तक एक समर्पित ( डेडिकेटेड ) ट्रेन  कॉरिडोर की  तीव्र आवश्यकता है, क्योंकि  इस समय तीर्थ यात्रियों की भीड़ को देखते हुए   रेल बस या अन्य यातायात के साधन कम पड़ते नजर आ रहें है।  

 

इसी बात को  दृटिगत  रखते हुए ,   केंद्र की मोदी  सरकार से ( जो अपने जनहित  व् दृढ निर्णय  लेने  की माहरत रखती है ) व् अभूतपूर्व रूप से केंद्र में नॉन कांग्रेस लगातार तीसरी बार आयी है 

 अनुरोध है कि जल्द ही  दिल्ली-मेरठ रेपिड मेट्रो कॉरिडोर को   मुजफ्फरनगर- रुड़की  होते हुए हरिद्वार तक विस्तार  देने  की  दिशा में विशेष कदम  उठाये।  

 

जय हिन्द ! जय भारत !

 

 

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